*अनुत्तरित प्रार्थनाएं*
यदि अनेक प्रार्थनाओं का उत्तर हमारी इच्छा के अनुरूप नहीं मिलता तो हम निराशा में चले जाते है, यदि हम स्वर्गीय पिता के बड़े दृष्टिकोण से देखें तो हम निश्चित ही निराश नहीं होंगे।
आध्यात्मिक रूप से अंतिम स्पर्श देने के लिए (आध्यात्मिक जीवन की सुंदरता और सुगंध को बढ़ाने और प्रभु की कृपा को प्रकट करने के लिए) परमेश्वर हमारे जीवन में परिस्थितियों और समय की अनुमति देते हैं जिसमें हम स्वर्गीय पिता के साथ घनिष्ठ संबंध में आते हैं और उनके अगापे प्रेम का अनुभव करते हैं।
*मसीह यीशु की प्रार्थना*
प्रभु यीशु ने गतसमनी के बगीचे में पिता से प्रार्थना की कि यदि हो सके तो इस कटोरे को मेरे पास से हटा देना, परन्तु मेरी नहीं, परन्तु तेरी इच्छा पूरी हो...।
*एलिय्याह की प्रार्थना*
परन्तु वह स्वयं एक दिन की यात्रा करके जंगल में चला गया, और वहां एक रोटम के पेड़ के नीचे बैठ गया और प्रार्थना करने लगा कि *मैं स्वयं मर जाऊं*। उसने कहा, "बस हो गया, हे यहोवा परमेश्वर, मेरा प्राण ले ले, मैं अपने पुरखाओं से अच्छा नहीं हूं।"
1 राजा. 19.4
ईज़ेबेल से भागने के बाद एलिय्याह ने प्रार्थना की कि, मेरी जान ले लो... लेकिन आज तक प्रभु ने एलिय्याह की प्रार्थना स्वीकार नहीं की....आज भी वह शरीर में जीवित है,उसकी मृत्यु नहीं हुई
*पौलुस की प्रार्थनाएँ*
पौलुस ने मेरे शरीर में कांटा निकालने के लिए प्रार्थना की, लेकिन प्रभु ने कांटे को उसके शरीर में रहने दिया।
इसके बारे में मैंने प्रभु से तीन बार प्रार्थना की कि वह मेरा दर्द दूर कर दें। परन्तु उसने मुझ से कहा, 'तुम्हारे लिये मेरी कृपा काफी है; क्योंकि मेरी सामर्थ निर्बलता में सिद्ध होती है, विशेष करके मैं अपनी निर्बलता पर बड़े आनन्द से घमण्ड करूंगा, कि मसीह की शक्ति मुझ पर स्थिर रहे।