रूह की बारिश, बरसा चाहती है
खुदवंद की शिफा आती है-2
प्रेम की बरखा बरसा चाहती है
खुदवंद की शिफा आती है-2
शिफा का मुंबा, येशू मसीहा
चुने का उसको वक़्त है यह
अपने ईमान से उसके लहू से
पापों से धुलने का वक़्त है यह
तेरे गुनाह चाहे हो किरमाज़ी
बर्फ की मानिंद धो देगा वो
पानी और रूह से देगा जानम
झरनों सी ज़िंदगी दे देगा वो
कोडे भी खाए तेरे लिए
तेरे लिए ही वो सूली चड़ा
कुचला गया वो तेरे लिए
तेरी शिफा को यह सब सहा
उस पर नज़र कर ले ले शिफा
अपने मसीहा से ले ले शिफा
उसकी सलीब से ले ले शिफा
उसके उसके लहू से ले ले शिफा
रूह की बारिश…
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